प्रेम अगन में झुलसत तन मन हो चंचल विचरत चहुंओर है पिय की खोज में डार डार उड़त पंख के फड़फड़ से चारों तरफ शोर है करुण क्रंदन सुन हृदय बेचैन है पपिहा के बोल गूंजता हर ओर है ©KRISHNARTH #क्रदन