ना चाहते हुए भी जिक्र तेरा करने लगता हूँ, जिक्र भर से तेरे मैं अहैं भरने लगता हूँ। महफ़िल में अक्सर सबसे दुर हो जाता हूँ, यादों में तेरी, जब मगरुर हो जाता हूँ। थक हार कर दुनिया से दूर होने लगता हूँ, जाने कब मैं ग़ुमनामियों में खोने लगता हूँ। ©thakur ji #बातें_लम्हे