" शादी " मां :- ये रीत पुरानी है बिटिया जिसे हम सबको निभाना पड़ता है आज नहीं तो कल बेटी को अपने घर जाना ही पड़ता है ये सिर्फ तुम्हारी नहीं यहां हम सबकी यही कहानी है जिसे बड़ा किया बड़े नाजों से , उसे बिदा भी भीगी पलकों से करना पड़ता है , सुनो बिटिया इस घर से जितना स्नेह मिला उस घर को भी उतना स्नेह देना , कोई गुस्से में कुछ कह भी दे तो भी तुम दिल पर मत लेना , जो आभूषण जिस जगह के लिए बना हो , वो उसी जगह पर जचता हैं , बिटिया नए लोगों के बीच जगह बनाने में थोड़ा तो वक्त लगता है , कभी हृदय आहत भी हो तो भी तुम खुद को समझाना , डोली में कर रहे बिदा , अब अर्थी में वापस आना है , धीरे - धीरे तुम उस घर के रंग में रंग जावोगी इस घर के लिए पराई , उस घर का हिस्सा बन जावोगी , ©SEJAL(Navi) बहू भी बेटी होती है .....