आंगन मेरा रोशन तो अब होता ही नही है, पर दीप जलाने की कोशिश मैं अक्सर करती रहती हूं, हवाओं का रुख जब बदलता है, उल्टी दिशा में जब चलता है, तो उसपर बिगड़ती रहती हूं, पर जब अपने ही फूंक मारकर उसे बुझा जाते है, मेरी सारी जदोजेहेद में पानी मिला जाते हैं, तो अनजानी हवाओं को क्या दोष दूं मैं, जब अपने ही अंधेरा मिटाने के लिए आंगन में आग ही लगा जाते हैं, झुलशते हैं फिर खुद उसमें और अपनो को भी आहत पहुंचा जाते हैं, शब्दों का वार खाली नही जाता न आंगन की आग सीने में भी लगा ही जाते हैं, ज़ख्म पुराने जो सीने में छुपे थे उसे खुरेद उसपर नमक लगा जाते हैं, कुछ नए घाव भी वो सीने में गहराई तक वो तब हमेशा के लिए पहुंचा जाते हैं। When your heart feels unbearable pain....😭😭😭 #mywritingmywords #mywritingmythoughts #yqdidi #yqbaba #yqhindi #yqhindiwriters #unbearablepain #ican't