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पल्लव की डायरी स्याही से रँगे थे अखबार शब्द थे कत्

पल्लव की डायरी
स्याही से रँगे थे अखबार
शब्द थे कत्ल
,वाहवाही बहुत थी
 अहमियत जनता की थी नही 
हर पेज पर आवभगत
 विज्ञापनो से, सरकारी थी
लगा ऐसा जैसे आईने पर
सच्चाई की कालिख पुती हुयी थी
                                प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
  #Likho आईने पर जैसे सच्चाई की कालिख पुती हुयी थी
#nojotohindi

#Likho आईने पर जैसे सच्चाई की कालिख पुती हुयी थी #nojotohindi #कविता

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