यादों का सहारा क्या करना, वो तो बस याद दिलाती है, जो छोड़ गए तन्हा हमको, उन्हें करके याद रुलाती है, गर भूल भी जाऊ कुछ पल के लिए, वो वादे याद दिलाती है, याद रखेंगे तुमको हरपल, पल पल दिल मचलाती है, कस्ती मैं बैठे नाविक को मजधार का भी डर रहता है, डरना भी तो स्वाभाविक है, हर हार का भी डर रहता है, वो कुसुम कली खिलती रहती,मुरझाने का डर रहता है, बातो बातो में याद आया, मुरझाना याद दिलाती है, यादो का सहारा क्या करना, वो तो बस याद दिलाती है, अभी अभी तो आया हूँ मैं, कुछ पल के लिए रुक लेने दो, कुछ हाल बयां मैं करु अपना, कुछ अपना हाल तो लेने दो, तुम भी खुश हो मैं भी खुश हूँ, ये खुशी खुशी की बाते है, इस पल तो हम दोनो खुश है, अब आगे की बात जब आती है, यादों का सहारा क्या करना, वो तो बस याद दिलाती है, जो छोड़ गए तन्हा हमको, उन्हें करके याद रुलाती है, poetry...