मुसाफिर मुसाफ़िर हूँ मैं तन्हा राहों की, और मेरी मंज़िल भी खो गई। मेरी मुश्किलों को देखते ही, मेरी परछाई भी सोहबत छोड़ गई। भले हूँ अकेली इस सफ़र में मुझको गम नहीं, मुझको है ख़बर, कि मैं किसी से भी कम नहीं। अभी तो बस मैने उड़नें को, पंख ही है खोला , मुझे तो अर्श में परवाज़ कर, पुरे जहाँ का शुमार करना है। -Rekha $harma #Musafir #Meri Manjil