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गुरु के कर्तव्य- क्षन्द-दोहा 1- पय पिही छान कलयु

गुरु के कर्तव्य-

क्षन्द-दोहा 
1-
पय पिही छान कलयुगी,शिष्य बनाईं जान|
शिष्य कुराहे चले तो,   गुरु का हो अपमान||
2- 
लाख शिष्य  बनाए से,   गुरु ना होय महान|
एक शिष्य सफल जो हो, गुरु उचे आसमान||
3-
जस बड़ कंबल कलयुगी, पांव उतनी पसार|
शिष्य नियोजन कीजिये,  सुखी छोट परिवार||
4-
गुण वहीं देहीं गुरुवर, जा गुण लायक शिष्य|
अश्वथामा हाल होय,  अन सुरक्षित भविष्य||

रचनाकार- राज कलयुगी 8090247927

©Writer Raj Kalayugi happy guru purnima

#guru
गुरु के कर्तव्य-

क्षन्द-दोहा 
1-
पय पिही छान कलयुगी,शिष्य बनाईं जान|
शिष्य कुराहे चले तो,   गुरु का हो अपमान||
2- 
लाख शिष्य  बनाए से,   गुरु ना होय महान|
एक शिष्य सफल जो हो, गुरु उचे आसमान||
3-
जस बड़ कंबल कलयुगी, पांव उतनी पसार|
शिष्य नियोजन कीजिये,  सुखी छोट परिवार||
4-
गुण वहीं देहीं गुरुवर, जा गुण लायक शिष्य|
अश्वथामा हाल होय,  अन सुरक्षित भविष्य||

रचनाकार- राज कलयुगी 8090247927

©Writer Raj Kalayugi happy guru purnima

#guru