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ज्ञान की।। ब्रह्मांड में "आविष्कार" की।। कोई सीम

ज्ञान की।। 
ब्रह्मांड में "आविष्कार" की।।

कोई सीमा नहीं
विद्या की उस "ज्योति" की।।
विश्व में लहराती हुई झंडा "परम शक्ति की"।।

कोई सीमा नहीं
"त्याग" हो या "दान" की।।
नदी के तट पर बैठा हुआ उस कवि की "कल्पना" की।।
बहती "प्रेम" की नय्या की।। 

कोई सीमा नहीं
"खून की नदियां" में बना इस साम्राज्य की।।
"रक्तलाल विजय" की।।
जन्म ले रही उस "रक्तबीज" की।। सुप्रभात।
जैसे आकाश की सीमा नहीं वैसे ही मनुष्य के पुरुषार्थ की सीमा नहीं।
#सीमानहीं #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
ज्ञान की।। 
ब्रह्मांड में "आविष्कार" की।।

कोई सीमा नहीं
विद्या की उस "ज्योति" की।।
विश्व में लहराती हुई झंडा "परम शक्ति की"।।

कोई सीमा नहीं
"त्याग" हो या "दान" की।।
नदी के तट पर बैठा हुआ उस कवि की "कल्पना" की।।
बहती "प्रेम" की नय्या की।। 

कोई सीमा नहीं
"खून की नदियां" में बना इस साम्राज्य की।।
"रक्तलाल विजय" की।।
जन्म ले रही उस "रक्तबीज" की।। सुप्रभात।
जैसे आकाश की सीमा नहीं वैसे ही मनुष्य के पुरुषार्थ की सीमा नहीं।
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