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फूलों के रस का ही प्रेमी होता है भंवरा। फूलों पर

फूलों के रस का ही प्रेमी होता है भंवरा। 
फूलों पर ही बस मंडराता रहता है भंवरा।

गुनगुन की गुंजन कर लुभाता है भंवरा।
फूल बदल- बदल बैठता रहता है भंवरा।

आशिक का मन होता है चंचल भंवरा।
हुस्न को देख बन जाता है प्रेमी भंवरा।

सच्चा प्रेम नहीं समझ पाता है भंवरा।
मोह से परे अपने में ही रहता है भंवरा 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏

💫प्रतिस्पर्धा में भाग लें  "मेरी रचना✍️ मेरे विचार"🙇 के साथ..

🥇"मेरी रचना मेरे विचार" आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  का  प्रतियोगिता:-०३ में हार्दिक स्वागत करता है..💐🙏🙏💐

🥈आप सभी ८ पंक्तियों में अपनी रचना लिखें।  विजेता का चयन हमारे चयनकर्ताओं द्वारा नियम एवं शर्तों के अनुसार  किया जाएगा।
फूलों के रस का ही प्रेमी होता है भंवरा। 
फूलों पर ही बस मंडराता रहता है भंवरा।

गुनगुन की गुंजन कर लुभाता है भंवरा।
फूल बदल- बदल बैठता रहता है भंवरा।

आशिक का मन होता है चंचल भंवरा।
हुस्न को देख बन जाता है प्रेमी भंवरा।

सच्चा प्रेम नहीं समझ पाता है भंवरा।
मोह से परे अपने में ही रहता है भंवरा 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏

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