कोई समझाओ इस बारिश को दोस्तो.... यूं बिन बताए चली आती है दोस्तो.... समझती ही नहीं हालातों को हमारे.... दिल ए बेताब को आकर छेड़ जाती है दोस्तो.... मुश्किल से हम तो बहलाया करते है.... इस नादान दिल को हमारे..... ये फिर आकर दिल को उलझा देती है दोस्तो ..... कोई समझाओ इस बारिश को दोस्तो.... ये क्या जाने आलम दिल का..... नहीं समझती अंजाम उल्फत का.... जिम्मेदारियों का बोझ है कंधो पर हमारे... कैसे अब बचपन की तरह भीग जाएं दोस्तों... कोई समझाओ इस बारिश को दोस्तो.... तृप्ति #बारिश