-:मसरूफ़ियत:- मसरूफ़ियत का सिलसिला है आख़िर चलेगा कब तक, तू इस अंगार में आख़िर पलेगा कब तक कभी तो खुलेगी कभी तुझे भी तो होश आएगा, फिर सोचना कि मसरूफ़ियत का जोश कब तक साथ निभाएगा "हिमांश" है अभी तबियत भी कुछ ताज़ा-ताज़ा मसरूफ़ियत में, जब होगा खड़ा किसी भीड़ में तब देखना वो रास्ता किधर जाएगा मसरूफ़ियत का सिलसिला है आख़िर चलेगा कब तक, तू इस अंगार में आख़िर पलेगा कब तक..!!! #मसरूफ़ियत