मिला हूँ ख़ाक में ऊँची मगर औकात रखी है, तुम्हारी बात थी आखिर तुम्हारी बात रखी है, भले ही पेट की खातिर कहीं दिन बेच आया हूँ , तुम्हारी याद की खातिर भी पूरी रात रखी है। #shahabaz Ali #shayar #Urdu ©Shahabaz Ali मिला हूँ ख़ाक में ऊँची मगर औकात रखी है, तुम्हारी बात थी आखिर तुम्हारी बात रखी है, भले ही पेट की खातिर कहीं दिन बेच आया हूँ , तुम्हारी याद की खातिर भी पूरी रात रखी है। #shahabaz Ali #shayar #Urdu #lovetaj