कुदरत का है,ये क्या अजीब रूप कहीं पेड़ कहीं पतझड़, है नज़र आती कहीं पे धूप। कहीं बनते कहीं बिगड़ते है रिश्ते जाते कहीं पे टूट।। कुदरत का है,ये क्या अजीब रूप। @ Samraat Akhil #Fortune #Believe