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अक्सर जब सब नींद के आगोश में होकर इस बिखरी हुई दुन

अक्सर जब सब नींद के आगोश में होकर इस बिखरी हुई दुनिया से अलग कहीं दूर होते हैं तब मैं अपनी इस कलम से उस दुनिया को स्वीकार करती हूं।
कुछ टूटे मकान और हां कुछ होंसले भी
कुछ रोशनी अभी मेरी किताब पर पड़ी
नहीं ये कैसा हुनर है,
मैंने चादर खींच ली है
और अपनी लकीरें भी।।

दिव्या त्यागी #LookingDeep 
#love yourself
#Be you
#Motivation 
#Nojoto 
#Famous 
#Quotes 
#you
अक्सर जब सब नींद के आगोश में होकर इस बिखरी हुई दुनिया से अलग कहीं दूर होते हैं तब मैं अपनी इस कलम से उस दुनिया को स्वीकार करती हूं।
कुछ टूटे मकान और हां कुछ होंसले भी
कुछ रोशनी अभी मेरी किताब पर पड़ी
नहीं ये कैसा हुनर है,
मैंने चादर खींच ली है
और अपनी लकीरें भी।।

दिव्या त्यागी #LookingDeep 
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