जिंदगी के मोड़ पर आकर मेहसूस कर रहे हम बहुत अकेले है वक़्त ने चोट मुझे ऐसा दिया अब तो जख्म सीने में बहुत गहरे है सब कुछ बदल गया या हम ख़ुद से जितने कि कोशिश करते हैं,,,,,,,,, बेकार नहीं हूं मैं और ना किसी को समझती हूं कोई राज़ नहीं हूं मैं जो सबसे डरती हूं बेहिसाब कोई दर्द न दे जाए बस इस बात से परेशान रहती हूं अफ़सोस तो मुझे बहुत होता है क्यूं मैं ख़ुद में खोई सी रहती हूं,,,,,,,,, मुझे झुठला लो या मेरी कहानी को पर तुम्हें क्या पता मैं कितना दर्द सहती हूं मैं सुनाऊंगी अतीत अपना तो अपने आंखों को रोक न पाओगे इसीलिए मैं खुद को सबके सामने ख़ामोश रखा करती हूं,,,,,,,,,,,,,,,,,, Imagine,,,,,,,,,,,, 💐💐💐💐💐💐💐💐💐 मुसाफिर थे इश्क़ के चाह में वक़्त ने चोट मुझे ऐसा दिया हम तो बिल्कुल बदल गए ,,,,,,,,,,,,,