#OpenPoetry बेटे की चाहत में,बलि बेटी की चढ़ाई जाती है और लिंगानुपात कम है लड़कियों की ये गम्भीर समस्या बताई जाती है। बेटी होती है, बोझ समझकर गर्भ में मर दी जाती है अजन्मी बच्ची की हत्या करने वालो क्या तुझे तनिक शर्म न आती है? अपनी किस्मत से जब लड़कर वो इस दुनिया में आती है खुद को पाती बोझ कहलाती पल पल मारी जाती है। खुद को बहशी दरिंदो से बचाती खुद ही सीमाओ में कैद हो जाती है। खुद को पराया समझकर दूसरे घर को अपनाती है वहाँ भी सम्मान की खातिर सन्घर्ष करती रह जाती है। गर्भ में अपना अंश पलता देख ख़ुशी से फुले न समाती है सास को चाहिए एक पोता हुई अगर पोती क्या होगा ये सोचने लग जाती है। कुछ का है संघर्ष शुरु होता कुछ की भ्रूण हत्या कर दी जाती है कहानी चलती जाती है बस पात्र बदलते रहते है सीना तानकर चलने वाले,अपने अपराध छुपाते रहते है।। #nojoto