बचपन का था एक प्यारा ज़माना दिन भर खेलना कुदना और फिर देर से नहाना मम्मी गुस्से से देखती थी जब मेरी तरफ़ फिर डर के तकिए में अपना चेहरा छुपाना , जिस दिन मिल जाए छुट्टी स्कूल से क्या बताए खुशियो का कैसा था ठिकाना, याद हैं मुझे आज भी टिवी पे आता था सोन परी और शाका लाका बूम बूम दोहपहर बीत जाती थी मेरी उनको देख ते हुए कुछ गाने हैं जो जिसका मतलब ना समझ पाना, पर उन गानो को गुनगुनाना एक प्यारा सा था बचपन का ज़माना जिसमें था खुशियो का खज़ाना #Childhoodmemories ❤