अलविदा... प्रेम ❤️ (भारी दिल से, आँखों में आँसू लिए उसने कहा) "सुनो साहेब... तुम जा तो रहे हो न, मगर एक वजह तो दे देते, मुझे यूं अकेले तड़पते छोड़ जाने की...." ( अपने कांपते हाथों से, उसके हाथों को पकड़कर चूमते हुए....) " अरी ओ साहिबा.... मजबूरी की जंजीरों में जकड़ा मैं, काश... कोई वजह ही तुम्हें दे पाता... ! काश आज मैं तुम्हें ये आँसू देने की वजाय ये तुम्हारे आँसू पौंछ पाता...!" (जोरों से सुबकियाँ लेते हुए उसने पूछा)