जिंदगी जीने का सलीका आज ही आया है आज ही शरमाता हुआ गुलाब मेरे बगीचे में खेल कर कर बाहर आया है सोचा करती थी मैं अक्सर अपने गम आज ही गुलाब को मैंने कांटों से घिरा पाया है जिंदगी जीने का सलीका आज ही समझ में आया है कांटों से गिरा हुआ भी अपनी महक महक आता है कांटों के होते हुए भी हमेशा हंसता ही नजर आता है आज ही मुझे भी दुख में हंसना आया है जिंदगी का सलीका आज ही समझ आया है ©Sonia Lath जिंदगी जीने का सलीका #sharaiy