।।क्रोध।। आता है वो कभी कभी आब-ए-चश्म देकर जाता है खुराफ़ाती है उसकी असर बड़ी बहोत गहरे घाव छोड़ जाता है अजनबी ये जालिम ऐसा आशियाने तोड़ देता है जालिमो का अस्हाब है वो असीम तबाही मचाता है अहंकारी का दोस्त है वो आलिमो का दुश्मन रहना उससे दूर सदा अगर खुश रहना है सदा तुमको।। आब-ए-चश्म-आंसू अस्हाब-मालिक आलिम-बुद्धिमान ""krodh""