किसे पता था ख़्वाब अपने आप रास्ता बनाएंगे! थोड़ा तुम चले थोड़ा हम क़दम मंज़िल तक जाएंगे। हक़ीक़त से रूबरू होकर सच में सुकून मिलता है। अग़र क़िस्मत का भी ज़ोर चला तो हम मिल पाएँगे। ख़ामख़ा की फ़िक्र में दिन रात क्यों ख़राब करते हो! महादेव की कृपा है तो जन्मों के बंधन जुड़ जाएंगे। अपने पराये का मुझको बोध न होने देना ए ख़ुदा। हम तो अपने लिए ज़माने भर की दुआयें चाहेंगे। किसी ने सच ही कहा है रिश्ते ऊपरवाला बनाता है! तुम्हें ढूंढते हुए राजस्थान से हम झारखण्ड आएंगे। ऋणानुबधों के आधार पे हम एक दूसरे से मिलते हैं। पंछी' इन्हीं से नफ़रत और इन्हीं से मोहब्बत पाएंगे। ♥️ Challenge-915 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।