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सुनो याद है तुमको या भूल गये...... हांथों में हांथ

सुनो याद है तुमको
या भूल गये......
हांथों में हांथ डाले...
उस गीली रेत पर चलना....
और याद होगा तुम्हें
खामोशी का वो पल भी 
जब टपके थे आँखों से 
कुछ अल्फाज ..........
उन अल्फाजों का सबब याद है
उन वादों का सबब याद है
याद है तुमको ......
मेरे कानो में  यह  कहना 
धीरे से ........
हाँ मुझे तुमसे प्यार है .
उस प्यार का उन वादों 
और तुम्हारे इकरार का 
गवाह आज भी है 
वो यहीं है......
कोई ओर नहीं ये गीली रेत....
जिस पर ....
तुम हांथों में हांथ लिए 
कुछ दूर चले 
फिर रुक गये 
नजाने क्यो अचानक अकेले मुड़ गये .
मैं आज भी तकता हूँ तुम्हें 
बैठा उसी गीली रेत पर ......
एक बार आ जाओ 
गर कोई मजबूरी है तो 
एक बार तो समझा जाओ .।।
सुनो याद है तुमको
या भूल गये......
हांथों में हांथ डाले...
उस गीली रेत पर चलना....
और याद होगा तुम्हें
खामोशी का वो पल भी 
जब टपके थे आँखों से 
कुछ अल्फाज ..........
उन अल्फाजों का सबब याद है
उन वादों का सबब याद है
याद है तुमको ......
मेरे कानो में  यह  कहना 
धीरे से ........
हाँ मुझे तुमसे प्यार है .
उस प्यार का उन वादों 
और तुम्हारे इकरार का 
गवाह आज भी है 
वो यहीं है......
कोई ओर नहीं ये गीली रेत....
जिस पर ....
तुम हांथों में हांथ लिए 
कुछ दूर चले 
फिर रुक गये 
नजाने क्यो अचानक अकेले मुड़ गये .
मैं आज भी तकता हूँ तुम्हें 
बैठा उसी गीली रेत पर ......
एक बार आ जाओ 
गर कोई मजबूरी है तो 
एक बार तो समझा जाओ .।।