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दो बूंद अश्कों के न बहे तो कोई बात नहीं जिंदगी भर

दो बूंद अश्कों के न बहे
तो कोई बात नहीं
जिंदगी भर अश्क मैने
बहाए है
जब शव निर्जीव हो जाए मेरा
अच्छे से उसे सजा देना
बिंदिया चूड़ी और पायल
सब उसको पहना देना
माथे पर मिट्टी का
 बड़ा तिलक लगा देना
जिंदगी भर तरसा था जो
दो पल की खुशियों के लिए
उस कहानी को जड़ से मिटा देना
बस दो बूंद अश्कों के न बहे
कोई बात नही
मेरी अर्थी को सजा देना
नीलम

©neelam arora
  #...जिंदगी भर का अश्क
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neelam arora

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#...जिंदगी भर का अश्क #कविता

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