प्रेम भरी नीर की बदरी अब मुझ पर बरसा दो तुम। प्यासे हैं तेरे प्यार के हम अब तो प्यास बुझा दो तुम। तुमको देखकर अब मेरा दिल भी दीवाना होने लगा आंखों से आंखें और दिल से दिल भी बातें करने लगी। सुध बुध गवाएं बैठी हूं आकर साथ निभा दो तुम। व्याकुल हो रहा है तन मन आकर के अंग लगा लो तुम। लबों पर प्यास तुम्हारी है दिल में भी नाम तुम्हारा है। आकर के जीवन सवांरो तुम ईश्वर का भी यही इशारा है। -"Ek Soch" 🔔 प्रिय कवि शर्त जरूर पढ़ें। Life With Poetry प्रतियोगिता -14 आज आपके लिए संयोग श्रृंगार रस प्रतियोगिता-14, जिसका शीर्षक 'प्रेम' (संयोग श्रृंगार रस) दिया गया है। शर्त एवं नोट निम्नलिखित हैं :- ☀️शर्त 🌹 आपको अधिकतम 8 पंक्तियां लिखनी है।