संगमरमरी मीनारों ने इश्क़ संजोया किसने क्या पाया क्या खोया जो इश्क़ का हुआ फिर वो , ओर कहां किसी का हुआ तहज़ीब से दिल-ए-तहरीर पर आगाज़ हुआ बिन छुए ही इश्क़ ने कुछ ऐसा छुआ एक दिल, एक जला दीया जो उठा वो धुआं धुआ एक दिल, एक रुआसी जां बिन तेरे सूना ये जहां ना ज़मीन , ना ये आसमा ढूंढूं कहां वो कहकशां फ़रियाद रब की टाली ना रूआंसा हुई रूह , ऐसी दशा कहां ढूंढूं वो कहकशां