#मृगतृष्णा एक पूर्ण ज़िन्दगी में कहीं कुछ सुनापन कहीं कुछ ख़लिश कर देती है बैचैन पाने को उस अतृप्त प्यास को जिसे मृग-तृष्णा कहूँ या ज़िन्दगी की मरीचिका या वो है मृग कस्तूरी जिसकी खुश्बू की चाहत से बैचैन है मन उसे पाने को पर शायद वो है मेरे ही वजूद का हिस्सा बस जिसे दूंढ रही हूँ मैं.....! ©-Anupama Jha मृगतृष्णा एक पूर्ण ज़िन्दगी में कहीं कुछ सुनापन कहीं कुछ ख़लिश कर देती है बैचैन पाने को उस अतृप्त प्यास को