नमस्कारं मस्तिष्क तथा शरीर, विचारों और क्रिया,संयम तथा पूर्णता, मानव एवं प्रकृति के बीच सद्भाव का समागम है। यह स्वास्थ्य और कल्याण के लिए समग्र पहल प्रदान करता है। ” स्वामी विवेकानन्द तो यहां तक कह गए थे कि जाति, धर्म, राष्ट्र, भाषा, परम्परा आदि सब देश-काल के साथ बदल जाते हैं। इनमें समन्वय के लिए परिपूरकता लानी पड़ेगी। “शरीर इस्लाम का हो, आत्मा वेदान्त की।” क्योंकि मैं धर्म और आध्यात्म की माँ की ओर से हूँ । यही हमारी संस्कृति का गौरव है । Open for Collab सुप्रभात !💐 भारतीय संस्कृति कोई हल्की सी तैरती बात नहीं है..यह तो इस धरती की सबसे गूढ़ और उम्दा जीवन पद्धति है.. आज दुनिया की मजबूरी है कि उन्हें नमस्कार करना पड़ रहा लेकिन हमारी तो दिन की शुरुआत ही इससे होती है..गर्व कीजिए भारतीय संस्कृति और इस महान संस्कृति का अंग होने पर.. कॉलेब कीजिए और इस संस्कृति के प्रति अपना प्रेम उड़ेलिये 😊🔥👌💐 #coronavirus #coronaquote