टूटी हुई तो ना थी बस जुड़ने का इंतजार था कलम किया हुआ गुलाब था जो थी तो कली बस फूल बनने का इंतजार था मुरझा जाती है कभी कभी जब प्यास की तलब होती थी पानी भरमार था बस उसे कोई पीला दे इसी चाहत का इंतजार था टूट ज़रूर जाऊंगी पर बिखरूंगी नहीं हाथो में शोभा देती थी पर उसकी बनूंगी नहीं कभी कांटो से था मेरा वास्ता तो क्या जिसके हाथों में सज जाऊ उसको इश्क़ करवा दूं जो मुझे खुद से जुदा करे उसको नफरत का एहसास दिला दूं कलम की हुई तो थी बस कलम से लिख जाने का इंतजार था। #टूटी से बिखरा नहीं करते।