Nojoto: Largest Storytelling Platform

मेरी ग़ज़ल अपने वास्ते उनवान ढूंढती है। मोहब्बत धर

मेरी ग़ज़ल अपने वास्ते उनवान ढूंढती है।
मोहब्बत धर्म की बस्ती में इंसान ढूंढती है

मेहनत करके बुलंदी कौन पाना चाहता है
हर मंजिल अपना सफर आसान ढूंढती है

बंदिश का डर जब किसी पंछी को सताता है
तभी वो चिड़िया खुला आसमान ढूंढती है।

तन्हा होकर भी जब मन में सैलाब उमड़ता है
तब ये जिंदगी एक डगर सुनसान ढूंढती है।

       ~Himanshu Kuniyal #जिंदगी #विचार
मेरी ग़ज़ल अपने वास्ते उनवान ढूंढती है।
मोहब्बत धर्म की बस्ती में इंसान ढूंढती है

मेहनत करके बुलंदी कौन पाना चाहता है
हर मंजिल अपना सफर आसान ढूंढती है

बंदिश का डर जब किसी पंछी को सताता है
तभी वो चिड़िया खुला आसमान ढूंढती है।

तन्हा होकर भी जब मन में सैलाब उमड़ता है
तब ये जिंदगी एक डगर सुनसान ढूंढती है।

       ~Himanshu Kuniyal #जिंदगी #विचार