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लोग बड़े - बड़े महा पुरूषो को भुल गये, चाहे वो क

लोग बड़े - बड़े  महा पुरूषो को भुल गये,

चाहे वो कला के क्षेत्र से हो

या किसी और क्षेत्र से, 

पवनजीत सेठी को, तुमको ,उनको, ये लोग क्या खाक याद रखेगें, 

"कुछ नही ऐसे ही चौडे़ होकर, भुल - भुलैया 

मे फिर रहे है हम, कड़वा सत्य,
लोग बड़े - बड़े  महा पुरूषो को भुल गये,

चाहे वो कला के क्षेत्र से हो

या किसी और क्षेत्र से, 

पवनजीत सेठी को, तुमको ,उनको, ये लोग क्या खाक याद रखेगें, 

"कुछ नही ऐसे ही चौडे़ होकर, भुल - भुलैया 

मे फिर रहे है हम, कड़वा सत्य,

कड़वा सत्य,