मैंने रोज पढ़ते हुए, वह भी मुझे देखती थी चुप चुप के, बातें लबों पर आ गई थी, मैं भी कहने वाला था, वह भी कहने वाली थी, पर कमबख्त किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, ना उसने मुझसे कुछ कहा ओर ना मैं उससे कुछ कहा पाया आखिर अपनों का डर जो जहन में था...... अधूरी दास्तां दो दिलो की उसको देखना आसान कहाँ था इसलिए छुप-छुप के देखा। #छुपकेदेखा #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi