वो घर कहीं खो गए है, कागज़ के किश्तों मे, रिश्ते सब खो गए हैं l शाम जो वो होती थी, यारों की महफ़िल सी होती थी, भरी दुपहरी मे भी, चहल पहल सी लगी होती थी, खो गया हर कोई यहां, अब मिलने की ख्वाहिश सी लगी होती है, कभी कबार इसी ख्वाहिशों मे, आंखे भी नम होती है! #मकानोंकेजंगल #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi