मंज़िल की फ़िक्र नही करता .सफ़रनामे की तलब है मुझे.. दूरियों से डर नही लगता..चलने की आदत है मुझे.. कैद रहना मुझे मंजूर नहीं ,आज़ादी से मोहब्बत है मुझे, मै आर हू या पार हू पता नहीं, बस कुछ तो हू इसी बात का गुमान है मूझे, मौत मेरी सहेली (girlfriend)हैं ,ज़िन्दगी पे ऐतबार है मुझे, हौसलों से ज़िंदा हू मै, इसी बात पर अभिमान है मुझे, आसूयो का मोती हू,हां थोड़ा सिंगार का भी शौक है मुझे, मुस्कुराहट साथ लिए चलता हू, हां ज़िन्दगी की पहचान है मुझे; मंज़िल की फ़िक्र नही करता .सफ़रनामे की तलब है मुझे.. #pP #pP #somewriting