सत्य है इस पूरी दुनिया में इतना अंधकार नहीं कि, वो एक छोटे से दीपक के प्रकाश को मिटा सके। मन में गर तनिक भी विश्वास भर ले ऐ मनुज, ऐसा कोई अभ्यास नहीं जो तुझे थका सके। ओढ़ ले गर हौंसले का ज़िद्दी पैरहन तू हँसकर, ऐसा कोई सैलाब नहीं जो तुझे क्षीण बना सके। भर ले जीत का आत्मविश्वास अपनी रगों में, ऐसा कोई अविश्वास नहीं जो तुझे हरा सके। दुःख के बाद सुख, निशा के बाद भोर सुनहरी, ऐसा कोई नियम बना नहीं जो इसे ठुकरा सके। नन्हा दीपक, नन्हीं सी कोशिश बस आगाज़ है, ऐसा कोई लक्ष्य नहीं जहाँ में तू जिसे न पा सके। बन "बुद्ध" तुम्हें स्वयं आत्मविश्वास जगाना होगा, ताकि हालात, असफलता, निराशा को तू हरा सके। मीना सिंह "मीन" स्वरचित, नई दिल्ली ©Meena Singh Meen my poetry #BuddhaPurnima2021 Kalyani Bhatnagar Neeraj Kalyani Bhatnagar Neeraj