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इक रहस्य जो विस्मित आज पनाह में समेटे मौन रात लहू

इक रहस्य जो विस्मित आज
पनाह में समेटे मौन रात

लहू से बहते कभी शब्दों पे
आंसू से छलक पड़ते कभी पन्नो पे

बड़ा विचित्र गुथी ये अंधकार में पलते अनजान परिंदे
जिज्ञासा की लहर उफना चीर रही अन्तर्मन् की दिवार्

किसकी गरज सुलझाए कौन
गदर में लिपटे सरस पी जाए कौन

बेशक विरह की चाशनी में डुबोया गया मर्म वो
चीखे कहती दफन है हजारों लाशें भावों के

अब आशा की गोद सूनी सूनी लगती
निराश थकी निगाह में मौजूद नाकाम प्रयत्न 

क्या जाने अब किस पहर किस डगर
दिखा चलें वो सत्य दर्पण

इक रहस्य जो विस्मित आज
पनाह में समेटे मौन रात।  #kamil_kavi 
#nightpoetry 
#yqdidi 
#yqbaba 
#kunu
इक रहस्य जो विस्मित आज
पनाह में समेटे मौन रात

लहू से बहते कभी शब्दों पे
आंसू से छलक पड़ते कभी पन्नो पे

बड़ा विचित्र गुथी ये अंधकार में पलते अनजान परिंदे
जिज्ञासा की लहर उफना चीर रही अन्तर्मन् की दिवार्

किसकी गरज सुलझाए कौन
गदर में लिपटे सरस पी जाए कौन

बेशक विरह की चाशनी में डुबोया गया मर्म वो
चीखे कहती दफन है हजारों लाशें भावों के

अब आशा की गोद सूनी सूनी लगती
निराश थकी निगाह में मौजूद नाकाम प्रयत्न 

क्या जाने अब किस पहर किस डगर
दिखा चलें वो सत्य दर्पण

इक रहस्य जो विस्मित आज
पनाह में समेटे मौन रात।  #kamil_kavi 
#nightpoetry 
#yqdidi 
#yqbaba 
#kunu
kunalkarn5063

Author kunal

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