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उस अँधेरे के सन्नाटे में कोई पीछा कर रहा था। मैं आ

उस अँधेरे के सन्नाटे में कोई पीछा कर रहा था। मैं आगे था और वो मेरे पीछे चल रहा था ।
पता करने की मैं भी लाख कोशिश कर रहा था ।
पर मुड़ के देखो तो अंधेरा दिख रहा था ।
छोटा सा उजाला मैं अपने हाथ मैं पकड़ के चल रहा था ।
उस थोड़े से उजाले मैं भी कोई तो मेरा पीछा कर रहा था ।
कुछ दूर जाने के बाद ठीक मैं था ।
बस मन का वहम था जो पीछ कर रहा था । परछाई
उस अँधेरे के सन्नाटे में कोई पीछा कर रहा था। मैं आगे था और वो मेरे पीछे चल रहा था ।
पता करने की मैं भी लाख कोशिश कर रहा था ।
पर मुड़ के देखो तो अंधेरा दिख रहा था ।
छोटा सा उजाला मैं अपने हाथ मैं पकड़ के चल रहा था ।
उस थोड़े से उजाले मैं भी कोई तो मेरा पीछा कर रहा था ।
कुछ दूर जाने के बाद ठीक मैं था ।
बस मन का वहम था जो पीछ कर रहा था । परछाई