सामने मंज़िल थी और, मुश्त ए गुबार था जो हातों से फिसल गया सामने मंज़िल थी और,मैं इरादे से मुखर गया वो वक्त था मेरा मैं अपने वक्त से बिछड़ गया मगर ये वादा है मेरा वक्त लेकर मिलना होगा एसा भी दौर आएगा सामने #मंज़िल थी और #वक्त #गुबार #वादा सुरेश राणा दईपुर