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भाग-2 (पिछले भाग से आगे) क्यों क्योंकि मैं भीतर

भाग-2

(पिछले भाग से आगे)
क्यों

क्योंकि मैं भीतर से अशक्त नहीं वस्तुतः

क्योंकि मुझमें प्रवाहित प्रेमसागर अथाह 
क्योंकि प्रेम सदा स्वयं के ही वशीभूत रहा
क्योंकि प्रेम सत्य असत्य से विमुक्त ही रहा
क्योंकि हो कोई समय काल अथवा दशा
प्रेम कदापि किसी पर अवलंबित न रहा
क्योंकि मैं मेरा मूलरुप प्रेम स्वरूप आत्मा
.
और आत्मा अशक्त नहीं परमात्मा की अनंत शक्तियों का भंडार है
जिसे किसी काल दशा व्यक्ति परिस्थिति से नहीं तुम्हारे मूल रुप से प्यार है|
.
मुझे प्रेम ने अनंत गहराइयाँ दी हैं
तो भावों की उन्नत ऊँचाइयाँ दी हैं
मुझे मात्र व्यक्ति रुप देखोगे तो मैं कमजोर दिखूँगी
पर मैं आत्मस्वरुप हूँ मुझे यूँ समझना आसान नहीं
विशुद्ध करो मनोभावों को चल अन्तर्मन मार्ग से ही
प्राप्त कर पाओगे दिव्य दृष्टि और तब देख पाओगे
कि मैं भीतर से अशक्त नहीं वस्तुतः|

✍-राजकुमारी #NojotoQuote क्यों... भाग-2
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#nojotohindi
#nojotokavishala
#quotes
भाग-2

(पिछले भाग से आगे)
क्यों

क्योंकि मैं भीतर से अशक्त नहीं वस्तुतः

क्योंकि मुझमें प्रवाहित प्रेमसागर अथाह 
क्योंकि प्रेम सदा स्वयं के ही वशीभूत रहा
क्योंकि प्रेम सत्य असत्य से विमुक्त ही रहा
क्योंकि हो कोई समय काल अथवा दशा
प्रेम कदापि किसी पर अवलंबित न रहा
क्योंकि मैं मेरा मूलरुप प्रेम स्वरूप आत्मा
.
और आत्मा अशक्त नहीं परमात्मा की अनंत शक्तियों का भंडार है
जिसे किसी काल दशा व्यक्ति परिस्थिति से नहीं तुम्हारे मूल रुप से प्यार है|
.
मुझे प्रेम ने अनंत गहराइयाँ दी हैं
तो भावों की उन्नत ऊँचाइयाँ दी हैं
मुझे मात्र व्यक्ति रुप देखोगे तो मैं कमजोर दिखूँगी
पर मैं आत्मस्वरुप हूँ मुझे यूँ समझना आसान नहीं
विशुद्ध करो मनोभावों को चल अन्तर्मन मार्ग से ही
प्राप्त कर पाओगे दिव्य दृष्टि और तब देख पाओगे
कि मैं भीतर से अशक्त नहीं वस्तुतः|

✍-राजकुमारी #NojotoQuote क्यों... भाग-2
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