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गिरिडीह पार्श्वनाथ की धरा, जर्रा-जर्रा उर्वरा। भू

गिरिडीह

पार्श्वनाथ की धरा, जर्रा-जर्रा उर्वरा।
भूगर्भ कोयला भरा,हरी-भरी वसुंधरा।
सकरी,उसरी नदी, बराकर से शान है,
अभ्रकों की खान से, विश्व पहचान है।

रूबी रत्न सम्पदा,खनिज का भंडार है।
महुआ बाँस हैं भरे,पलास का श्रृंगार है।
जगदीश चन्द्र बोस से मेरा भी सम्मान है,
साहित्य से जुड़ा सदा मेरा स्वाभिमान है।।

लंगेश्वरी तपोभूमि, एकता का भाव है।
शांति-प्रेम भावना, सादगी स्वभाव है।
लौह कर्मभूमि है, पत्थरों की खान है,
समृद्ध मेरी संस्कृति,खोरठा ज़ुबान है।।

गिरी से है जुड़ा, जलेबी घाटी से मुड़ा।
रक्षा स्वाभिमान को, ये सदा रहे खड़ा।
छत बिना मन्दिर, झारखण्डी धाम है,
झारखण्ड का जिला,गिरिडीह नाम है।।
©पंकज प्रियम #गिरिडीह
गिरिडीह

पार्श्वनाथ की धरा, जर्रा-जर्रा उर्वरा।
भूगर्भ कोयला भरा,हरी-भरी वसुंधरा।
सकरी,उसरी नदी, बराकर से शान है,
अभ्रकों की खान से, विश्व पहचान है।

रूबी रत्न सम्पदा,खनिज का भंडार है।
महुआ बाँस हैं भरे,पलास का श्रृंगार है।
जगदीश चन्द्र बोस से मेरा भी सम्मान है,
साहित्य से जुड़ा सदा मेरा स्वाभिमान है।।

लंगेश्वरी तपोभूमि, एकता का भाव है।
शांति-प्रेम भावना, सादगी स्वभाव है।
लौह कर्मभूमि है, पत्थरों की खान है,
समृद्ध मेरी संस्कृति,खोरठा ज़ुबान है।।

गिरी से है जुड़ा, जलेबी घाटी से मुड़ा।
रक्षा स्वाभिमान को, ये सदा रहे खड़ा।
छत बिना मन्दिर, झारखण्डी धाम है,
झारखण्ड का जिला,गिरिडीह नाम है।।
©पंकज प्रियम #गिरिडीह