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धुंद सा बिखरा, ख्वाबों के राह पर, ज़मीं फिसलती रही,

धुंद सा बिखरा,
ख्वाबों के राह पर,
ज़मीं फिसलती रही,
आसमा की चाह पर।
ना जाने आँख मिचौली,
क्यो तू खेलता हर पल साथ मेरे,
रहने दे मुझे यू ही,
धुंद सा बिखरा,
ख्वाबों के राह पर,
ज़मीं फिसल  रही,
फिसलने दे,
आसमा की चाह पर,
धुंध सा बिखरा,
यूँ ही रहने दे मुझे।

©Prashant Roy
  #यूँ ही रहने दे।
prashantroy0606

Prashant Roy

Bronze Star
New Creator

#यूँ ही रहने दे। #कविता

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