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प्रेम ध्वनि (कविता) प्रेम ध्वनि होती है मधुर सुन

प्रेम ध्वनि (कविता)
 
प्रेम ध्वनि होती है मधुर
सुन प्रेम बंसी की धुन 
राधा दौड़ी चली आयी
कृष्ण के संग प्रेम रंग में रंग गयीं
तेरे प्रेम ने भी कर दिया 
मेरे हृदय को भी झंकृत
तेरे मीठी आवाज़ से
मन हो गया प्रसन्नचित
तेरे प्यार की दृष्टि से
हो गई मैं अलंकृत
तेरे प्रेम ध्वनि ने
कर दिया मुझे आह्लादित
तेरे प्रेम समर्पण में
मैं खुद को कर दिया समाहित।

 Image courtesy: Google
रचना नंबर : 3 
#कोराकाग़ज़
#collabwithकोराकाग़ज़ 
#विशेषप्रतियोगिता 
#kkpc24 
#प्रेमध्वनि
#similethoughts
प्रेम ध्वनि (कविता)
 
प्रेम ध्वनि होती है मधुर
सुन प्रेम बंसी की धुन 
राधा दौड़ी चली आयी
कृष्ण के संग प्रेम रंग में रंग गयीं
तेरे प्रेम ने भी कर दिया 
मेरे हृदय को भी झंकृत
तेरे मीठी आवाज़ से
मन हो गया प्रसन्नचित
तेरे प्यार की दृष्टि से
हो गई मैं अलंकृत
तेरे प्रेम ध्वनि ने
कर दिया मुझे आह्लादित
तेरे प्रेम समर्पण में
मैं खुद को कर दिया समाहित।

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