बहुत थक गई हूँ मैं, थोड़ा आराम कर लूँ, इनायत -ए-खुदा हो तो सुबह को शाम कर लूँ । बेज़ार लगती हैं जिंदगी अब यारों के बिना, बज़्म-ए-याराँ मिले तो बातें उनसे आम कर लूँ । समझौतों मे ही बीत गया है बचपन, मशिय्यत-ए-दिल है कि ज़िद अब तमाम कर लूँ । हिकायत -ए-मुसीन अब हाफिज़ा हो गई, बेदार-ए-शक्सियत ज़रा साझा -ए-अवाम कर लूँ । वक़्त की किल्लत जो चैन से रोटी ही खा सकूँ, महव-ए-दुआ इक निवाला माँ के हाथ चूम कर लूँ । Ghazal, Kyon na aisa karu... . . . #yqquotesdiary #yqquotes #yqtales #yqghazal #yqshayari #yqshayarihindi #yqdidi