#OpenPoetry आधा ख्वाब...….....तू हकीकत था मगर एक ख्वाब सा लगता है, पर ख्वाब भी पूरा कहां हुआ भुल भी जाता, वक़्त के साथ, पर रोज नींद में परेशान करता है, भूलने नहीं देता। हर बार सोचता हू, पुरा कर दूंगा इस बार, ये सोच कर के कि पुरा हो गया तो फिर नींद में खलल न डाले पर होता ही नहीं, क्योंकि ख्वाब जो है ये, क्या अधूरा और क्या पूरा ख्वाब जो है, है , या था , पता नहीं क्या पता आज फिर रात तले निंद में लौट आये वहीं ख्वाब। और फिर आधा ही रह जाए आधा , हम दोनों की तरह...!!! #OpenPoetry