महफ़िल में सुनने वालों की तादाद कहाँ मिलती है, ज़नाब अच्छी शायरी को अब दाद कहाँ मिलती है, झूठा माल अब बिक रहा, हाथों हाथ इस बाजार में, कोई रिश्ता टिकाऊ हो ऐसी मियाद कहाँ मिलती है, © कमल कर्मा"के.के." #अच्छी शायरी