**** बसन्त चितचोर ****** माघवा महिनवा में दिन सुसूमाए, ठीक भोरहरिया तन सिहरावे, कुहूके कोयलिया भोरे-भोर, ए राजा देखि,आईल बसन्त चितचोर। मनवा में उठेला हिलोर, ए राजा देखि,आईल बसन्त चितचोर। पीयर-पियर तेलहन के फूलवा फुलाईल, पीपरा आ निमीया में टूसा बा आईल, सुनर लउके चारो-ओर, ए राजा देखि,आईल बसन्त चितचोर। आम मोजराईल, महुआ कोचियाईल, बगिया में फुलवा खूबे कोढियाईल, भईल प्रकृति के रुपवा बेजोड़ , ए राजा देखि,आईल बसन्त चितचोर। बगयिचा में नाचे खूबे मोर, ए राजा देखि,आईल बसन्त चितचोर। ****नवीन कुमार पाठक **** ©Kumar Manoj बसन्त