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वाह-वाह ! क्या बात है ---------------------------

वाह-वाह ! क्या बात है 
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कुछ डरकर वाह-वाह करते, कुछ डटकर वाह-वाह करते,
कुछ चाटुकार सेना मे हैं , बढ़-चढ़कर वाह-वाह करते ।
कुछ समझौते मे बंधे हुए,तेरी पर मैं, मेरी पर तू,
ईमानदारी सर्वोपरि ,आपस मे वाह-वाह करते ।
कुछ विचलित तक हो जाते हैं ,जब ये दो शब्द नहीँ सुनते ,
खुद कहकर ताली बजवाते,  जमकर वाह-वाह करवाते  ।
बहुत कम ही पारखी ऐसे हैं, जो सच्ची  वाह-वाह करते,
वे सत्य  नकार नहीं सकते,असत्य  स्वीकार नहीं करते ।
यह वाह-वाह एक शाबासी,सम्मोहन है,एक जादू है,
इसकी त्वरित उत्प्रेरण महिमा ,हम अस्वीकार नहीं करते ।
पुष्पेन्द्र पंकज

©Pushpendra Pankaj वाह-वाह!क्या बात है ।
वाह-वाह ! क्या बात है 
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कुछ डरकर वाह-वाह करते, कुछ डटकर वाह-वाह करते,
कुछ चाटुकार सेना मे हैं , बढ़-चढ़कर वाह-वाह करते ।
कुछ समझौते मे बंधे हुए,तेरी पर मैं, मेरी पर तू,
ईमानदारी सर्वोपरि ,आपस मे वाह-वाह करते ।
कुछ विचलित तक हो जाते हैं ,जब ये दो शब्द नहीँ सुनते ,
खुद कहकर ताली बजवाते,  जमकर वाह-वाह करवाते  ।
बहुत कम ही पारखी ऐसे हैं, जो सच्ची  वाह-वाह करते,
वे सत्य  नकार नहीं सकते,असत्य  स्वीकार नहीं करते ।
यह वाह-वाह एक शाबासी,सम्मोहन है,एक जादू है,
इसकी त्वरित उत्प्रेरण महिमा ,हम अस्वीकार नहीं करते ।
पुष्पेन्द्र पंकज

©Pushpendra Pankaj वाह-वाह!क्या बात है ।

वाह-वाह!क्या बात है । #कविता