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"मनेन्दित आकर्षिका: काव्य------" *****************

"मनेन्दित आकर्षिका: काव्य------" *****************
सांस चलती रहे याद आता रहूँ।
मैं तेरे  स्वप्न  में  गीत गाता रहूँ।।
सांस चलती रहे, ................।।
       पुष्प खिलते रहें  रश्मि  के जाल में।
       सांझ ढलती रहे सुर की आवाज में।।
       मैं भी  सुनकर इन्हें  गुनगुनाता  रहूँ।
सांस चलती रहे, ................।।
"मनेन्दित आकर्षिका: काव्य------" *****************
सांस चलती रहे याद आता रहूँ।
मैं तेरे  स्वप्न  में  गीत गाता रहूँ।।
सांस चलती रहे, ................।।
       पुष्प खिलते रहें  रश्मि  के जाल में।
       सांझ ढलती रहे सुर की आवाज में।।
       मैं भी  सुनकर इन्हें  गुनगुनाता  रहूँ।
सांस चलती रहे, ................।।