माँ के हाथों की बनी रोटी आज भी याद आती है वो कच्ची हो या पक्की सुकून से खाई जाती थी ये लाइन उन्हें समर्पित जो पढ़ाई करने के लिए, नौकरी के लिए घर से दूर रहते हैं। #MothersLove #Gharkiyaad