भूल जाना कठपुतली का खेल है यहां,क्या फितूर है जो दिलों में रहता है, तख्त ओ ताज अहसान फरामोशों के हैं अब, और नस नस में धोखा बहता है। ईमान तरस रहा है अकेले में, आए और अपना ले कोई तो उसे, क्यूं चालबाजी जीने का ज़रिया है अब, क्यूं हर ज़हन में ज़हर शकों का बहता है।। औरों के सपनो की खातिर, कुछ करते हैं अपने सपने कुर्बान, वक्त भी बेइंतहा देते हैं,और बेमिसाल ही देते हैं सम्मान। एक गलती को औज़ार बना, दुनियां फिर भी कर देती है अपमान, ताक लगाए बैठा है जहां, करने को एक पल में अनजान।। झूंठ फरेब का गहरा साया है यहां, सच्चा इंसान बेरूखी सहता है, क्यूं चालबाजी जीने का ज़रिया है अब, क्यूं हर ज़हन में ज़हर शकों का बहता है।। #feather #shaayavita #Fake #world #dhokebaaz #duniya #duniyaa #chaalbaazi #chaalbaaz